बीएड की फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षक को एसटीएफ ने दबोचा, 17 और रडार पर

बीएड की फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षक को एसटीएफ ने दबोचा, 17 और रडार पर 


बीएड की फर्जी मार्कशीट बनवाकर देवरिया के एक विद्यालय में शिक्षक की नौकरी कर रहे सतीश चंद्र मिश्र उर्फ राजू मिश्र को मंगलवार की देर शाम गोरखपुर के चारफाटक से एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया।


सतीश चंद्र मिश्र ने पूछताछ में बताया कि फर्जी मार्कशीट पर उसकी जानकारी में 17 शिक्षक नौकरी करते हैं। इस फर्जीवाड़े में शामिल शिक्षा विभाग के अधिकारियों तथा विद्यालय प्रबंधकों के बारे में एसटीएफ को जानकारी हुई है। शाहपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराकर एसटीएफ ने आरोपित को उनके हवाले कर दिया है।


एसटीएफ की गोरखपुर फिल्ड यूनिट के इंस्पेक्टर सत्य प्रकाश सिंह के नेतृत्व में गठित टीम फर्जी डिग्री बनवाकर शिक्षक की नौकरी हासिल करने वालों की गिरफ्तारी के लिए लगी थी। इसी बीच मंगलवार की शाम को पता चला कि भटनी, देवरिया के पुरन छपरा निवासी सतीश चंद्र मिश्र गोरखपुर शहर में आया है। शाहपुर इलाके में चारफाटक के पास से टीम ने उसे गिरफ्तार किया। 


18 साल से कर रहा था फर्जी डिग्री पर नौकरी 
बीएड की फर्जी डिग्री लगाकर देवरिया जिले में पथरदेवा थाना क्षेत्र स्थित लघु माध्यमिक विद्यालय, शाहपुर पुरैनी में सतीष चंद मिश्र पिछले 18 साल से नौकरी कर रहा था। वर्ष 2002 में उसने शिक्षक की नौकरी हासिल कर ली थी। तभी से विद्यालय में कार्यरत था। इस फर्जीवाड़े में विद्यालय के प्रबंधक और देवरिया के तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी के भी शामिल होने के एसटीएफ के पास प्रमाण मिले हैं। 


गुजरात से बनवाई फर्जी डिग्री 
सतीश चंद्र मिश्र ने पूछताछ में बताया है कि अहमदाबाद, गुजरात के प्रकाश कालेज आफ एजुकेशन से उसने वर्ष 1992 की बीएड की फर्जी डिग्री बनवाई थी। जिस विद्यालय में वह नौकरी कर रहा था उसके प्रबंधक से पारिवारिक संबंध है। विद्यालय में नौ शिक्षकों की भर्ती होनी थी। इसके लिए आवेदन मांगे जाने से पहले ही विद्यालय प्रबंधक के कहने पर उसने डिग्री बनवाई थी। बाद में विद्यालय में नौ शिक्षकों की नियुक्ति के लिए रिक्ति निकलने पर उसने आवेदन किया और उसका चयन भी हो गया। 


फर्जी डिग्री पर नौ शिक्षकों की हुई थी नियुक्ति 
सतीश ने कबूल किया है कि लघु माध्यमिक विद्यालय, शाहपुर पुरैनी में उसके साथ बीएड की फर्जी डिग्री पर आठ अन्य शिक्षकों की भी नियुक्ति हुई थी। उसी समय देवरिया जिले के ही ऋषिराज देवरहवा बाबा लघु माध्यमिक विद्यालय, सरौरा, कदौरी में भी फर्जी डिग्री पर नौ शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। सभी की फर्जी डिग्री अहमदाबाद, गुजरात के प्रकाश कालेज आफ एजुकेशन से बनवाई गई थी।


शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत उजागर 
एसटीएफ कि जांच में शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिली भगत भी उजागर हुई है। वर्ष 2010 में देवरिया के तत्कालीन बीएसए एएन मौर्य ने फर्जी डिग्री पर नौकरी हासिल करने वाले शिक्षकों का वेतन और एरिया का भुगतान करने का आदेश दिया था। बाद में शिक्षकों की डिग्री पर संदेह होने पर गोरखपुर के तत्कालीन एडी बेसिक ने वेतन भुगतान करने पर रोक लगा दी। उनकी रिपोर्ट पर गोरखपुर के तत्कालीन मंडलायुक्त ने मामले की जांच का आदेश भी दिया था, लेकिन बाद में जांच में लीपापोती कर उनको वेतन दिया जाने लगा। वेतन का भुगतान करने का आदेश देने वाले शिक्षा विभाग के अधिकारियों का इस मामले में फंसना तय माना जा रहा है।